Wednesday, 8 July 2020

Who is Durga maa

भारत देश में आस्तिकता सर्वोच्च है। प्रत्येक व्यक्ति अपने हिसाब से भगवान को किसी न किसी रूप में मानता ही है।
इसी का एक हिस्सा है नवरात्रि पूजा।
जिसके तहत नौ दिन तक अलग अलग रूपों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। दुर्गा को अष्टंगि भी कहा जाता है।
लगभग सभी भारतीयों की आस्था का केंद्र नवरात्रि पूजा है।
पश्चिम बंगाल में तो दुर्गा उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।


इन सबसे पहले देवी दुर्गा जी के बारे में जान लेते हैं
👉#दुर्गा_त्रिदेवजनननी है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की माता।
 दुर्गा जी का पति ब्रह्म है जो गुप्त रहता है।
👉#मां_दुर्गा अविनाशी नहीं है। इनका भी जन्म और मृत्यु होती है।
👉#दुर्गा को अष्टंगी भी कहते हैं, क्योंकि उनकी आठ भुजा हैं।
जबकि पूर्ण परमात्मा असंख्य कला और भुजाओं का स्वामी है।

क्या आपने कभी सोचा है कि इस तरह की साधना का उल्लेख हमारे सद्ग्रन्थों में है भी या नहीं।
क्या सब लोग एक दूसरे को देखकर मनमानी पूजाएं तो नहीं कर रहे ?
क्या इस तरह से नौ दिन नाचने गाने से देवी प्रसन्न हो पाएगी ?
👉#देवीपुराण_ में देवी खुद कहती है कि उनकी पूजा करना व्यर्थ है और ब्रह्म की पूजा करना सही। दुर्गा जी ने अपनी पूजा अनुचित बताई हैं।
👉#गीताजी_के_अध्याय_16_के_श्लोक_23 में लिखा है कि शास्त्रविधि को त्यागकर जो साधक मनमानाआचरण करते हैं,उनको न कोई सुख मिलता है, न सिद्धि प्राप्त होती है और न ही पूर्ण मोक्ष अर्थात यूजलेस (Useless)
नवरात्रि पूजा शास्त्र विरुद्ध साधना है जिसे करने से कोई लाभ नहीं मिल सकता।
दुर्गा जी को प्रसन्न करने हेतु उनके एक विशेष मंत्र का जाप पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर करने से ही लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत हैं जो हमारे सद्ग्रन्थों में लिखा ज्ञान व भक्ति विधि बताते हैं।
मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से ही जीव सुखी हो सकता है व मोक्ष प्राप्त कर सकता है
अधिक जानकारी हेतु अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा 🙏🏻












Wednesday, 1 July 2020

उच्च शिक्षा: सही या गलत

नमस्कार दोस्तों आज अपन बात करेंगे उच्च शिक्षा पर।
उच्च शिक्षा के फायदे अनेक हैं परंतु प्रत्येक सिक्के के दो पहलू होते हैं जहां इसके फायदे हैं वही इसके कुछ नुकसान भी हैं तो आज अपन दोनों पहलुओं पर बात करेंगे।

        *उच्च शिक्षा के फायदे*

वर्तमान समय में उच्च शिक्षा का प्रचलन चरम सीमा पर है उच्च शिक्षित व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता कुछ हद तक ज्यादा होती है क्योंकि शिक्षा उसे प्रत्येक पहलू पर विचार करना सिखाती है शिक्षा से व्यक्ति में कुछ ऐसे गुणों का निर्माण होता है जिससे वह अपने आर्थिक सामाजिक कर्तव्य का वहन अच्छे तरीके से कर सकता है। एक पढ़े लिखे व्यक्ति की बात करने का ढंग उसके रहन-सहन का तरीका एक अनपढ़ व्यक्ति  यह बहुत कम पढ़े लिखे व्यक्ति से बहुत अलग होता है। पढ़ा लिखा व्यक्ति समाज में फैली कुरीतियों व पाखंडवाद को अच्छे से समझ कर  उनका खण्डन कर सकता है। और धर्म का सही मतलब भी समझ सकता है। इस तरह एक शिक्षित व्यक्ति अपने विवेक के आधार पर तर्क वितर्क करके प्रत्येक चीज को आसानी से समझ सकता है
परन्तु दुर्भाग्य की बात है की वर्तमान समय में ऐसा नहीं हो रहा।

*उच्च शिक्षा के नुकसान*

वर्तमान की युवा पीढ़ी जो कि उच्च शिक्षित है या फिर उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सलंग्न है,  उनको समाज से कोई मतलब ही नहीं है। शिक्षा ने  मानव समाज को अहंकारी बना दिया है। स्वार्थपरता सबके दिमाग में घर कर चुकी है। सब पैसे की अंधी दौड़ में इतना व्यस्त हो चुके हैं कि वे अपने रिश्ते नाते और भावनाओं को भी भूल चुके हैं। एक पढ़े लिखे व्यक्ति के सपने अपने समाज का सुधार करने के बजाय केवल अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने व ऐशो आराम के साधन इकट्ठा करने में सीमित हो चुके हैं और इसी बीच बहुत सी बुराइयां भी युवा समाज में घर कर गई हैं। समाज वह देश के लिए अपने कर्तव्य को उच्च शिक्षित युवा भूल चुके हैं और यह बहुत हानिकारक है।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है की आजकल के माता-पिता भी अपने बच्चों को सिर्फ और सिर्फ पैसे की अंधी दौड़ में ही शामिल करना चाहते हैं। नैतिक शिक्षा न के बराबर रह गई है। इसलिए वर्तमान समय की मुख्य आवश्यकता है यह है कि उच्च उच्च शिक्षित युवा पीढ़ी को अध्यात्मिकता की ओर बढ़ाया जाए।

जरूर पढ़ें जीने की राह पुस्तक।
धन्यवाद दोस्तों।





Who is Durga maa

भारत देश में आस्तिकता सर्वोच्च है। प्रत्येक व्यक्ति अपने हिसाब से भगवान को किसी न किसी रूप में मानता ही है। इसी का एक हिस्सा है नवरात्रि प...